करती ख़ुद पर नाज़, सनम मैं तुमको पाकर। करती ख़ुद पर नाज़, सनम मैं तुमको पाकर।
तुमने तो कुछ कहे बिना चुन लिया हमसफ़र अपना, और मैं वफ़ा की इस राह में बस अकेली ही चल र तुमने तो कुछ कहे बिना चुन लिया हमसफ़र अपना, और मैं वफ़ा की इस राह में बस अकेल...
क्यूँकि हर एक शख्स का कोई ठिकाना होता है। क्यूँकि हर एक शख्स का कोई ठिकाना होता है।
मेरे एहसास उनकी उम्मीदें इसीलिए तो मेरे अपने हैं इनसे ही तो मेरे सपने हैं इसीलिए तो मेरे एहसास उनकी उम्मीदें इसीलिए तो मेरे अपने हैं इनसे ही तो मेरे सपने हैं ...
साथ इज़्ज़त के गुज़र जाएं ये दिन.... । साथ इज़्ज़त के गुज़र जाएं ये दिन.... ।
कुछ तुम न चले कुछ हम न चले। कुछ तुम न चले कुछ हम न चले।